१
भोज ने भात हर-हर गीत की करू
लागल भूख कहू मीत की करू
जिनगी अजगुत जिबनिहार विचित्र
केखनो घृणा केखनो प्रीत की करू
प्रेम बदलि रहल समयो सँ बेसी
केखनो आगि केखनो शीत की करू
मनुख के पहिचानब बड्ड कठिन
केखनो बिग्घा केखनो बीत की करू
चललहुँ मिलाबए गरा सँ गरा
भेटल दुश्मन नहि मनमीत की करू
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शनिवार, 31 जनवरी 2009
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
हमर पूरा नाम थिक आशीष कुमार मिश्र। गामक नाम अछि भटरा-घाट(बिस्फी)।हम वर्तमान मे लाजिस्टिक सेक्टर (ए.बी.सी इंडिया लिमिटेड) मे लेखाकर्मी के पद पर कार्यरत छी।हमर शिक्षा गाम एवं कलकत्ता मे भेल। आब इ ब्लागक संग अपने लोकनिक शरण मे छी।आशा अछि जे हमर प्रयास आहाँ सभ के पसिन्न होएत।
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
एहि बेर तं कँपकपी आनि देलियैक, बिहारि आनि देलियैक।
जवाब देंहटाएंप्रेम बदलि रहल समयो सँ बेसी
केखनो आगि केखनो शीत की करू
आ
चललहुँ मिलाबए गरा सँ गरा
भेटल दुश्मन नहि मनमीत की करू
सत्ते
पलास्टिकक कंठ सँ बाजू कतेक