(मैथिलीक प्रख्यात गायक हेमकान्तक पछिला सप्ताह निधन भ' गेलनि। फरबरी '१० मे दरभंगा रेडियोक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम 'मैथिली सुगम संगीत'क शुभारंभ हमर रचित आ हेमकान्तक गाओल एही गजल सं भेल छल।एहि गजल कें दोसरो-दोसरो गायक गेने छथि मुदा हेमकान्तक गायन मे जे रवानगी,जे फीलिंग छलनि से दुर्लभ अछि।ई गायन हुनक जीवनक अन्तिम गायन छलनि।से,ई पोस्ट करैत काल ओ बहुत मोन पडि रहल छथि।हुनका प्रति विनम्र श्रद्धांजलि।)
सूतल जागल सोह अहीं के आबैए
ए रुनझुन, ई देह कते भरमाबैए
ठहरल जल छी ठंडा-ठंडा, इतमिनान छी
गरम हवा ई हलचल कोना मचाबैए
लचक अहां के पत्ता-पत्ता कसक फूल के
अइ बगिया के माली मोहि बताबैए
जे कहबै से कहबै लेकिन एखन ने मानब
एखन प्रीत मनुहार हार बरसाबैए
जै मुस्की सं अहां करै छी अल्लो-मल्लो
सै मुस्की ई देखियौ रौद उगाबैए
ठाढ रहै छी एक पएर सं एक चलै छी
केहन अजूबा काज प्रेम करबाबैए
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बुधवार, 24 मार्च 2010
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
हेमकान्त जीक निधन सँ मैथिली संगीत के अपूरणीय क्षति भेलैक अछि, ताहि मे संदेह नहि।भगवान हुनका सन संतति पुनः मैथिली के देथि से हमर कामना।
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