जतबए हुअए भाइ टाहि दिऔ
निशिबद्दताक जड़ि उखाड़ि दिऔ
नीक काज के रोकए जे
डाँड़ ओकर ससारि दिऔ
काज जँ नहि हुअए सोझ बाटे
भाभट अपन पसारि दिऔ
भुतिआ गेलै मनुखताइ मोन सँ
कने कुशलक खढ़ी उचारि दिऔ
अनचिन्हारक करेज भीजल काठ
कने प्रेमक आगि पजारि दिऔ
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सोमवार, 7 जून 2010
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
अनचिन्हार,
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
wah. badd sunder kavita likhne chi. mathili padhi kai man khush bh gel.
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