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शनिवार, 21 अगस्त 2010
गजल
अंगूर खट्टा लताम थुर्री जामुन लाल
गाछो मचा रहल बड़का बबाल
एखबारी विकास आ जनता उदास
बहिरा नाचए अपने ताल
पाँच बरिस पर सुरुज उगैए
बाँकी समय बदरी-बिकाल
लागल हाट अछि गमला के
फूल तकैए कादो-थाल
अनचिन्हार त अनचिन्हारे अछि
चिन्हार बनल अछि बड़का काल
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अनचिन्हार,
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शुक्रवार, 13 अगस्त 2010
गजल
अहाँ निरोध करु
अहाँ विरोध करु
लोक बढ़त आँगा
अहाँ अवरोध करु
धनी बनए धनी
एहने शोध करु
जनतंत्र अपने जन्मल
खूब ओध-बाध करु
खाएब अहाँ फास्ट-फूड
बरबाद बाध करु
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अनचिन्हार,
बिना छंद-बहरक
बुधवार, 11 अगस्त 2010
गजल
मनुख पर भूकैत अछि कूकूर
खजाना के लुटैत अछि कुकूर
की मनु की आदम की थिक हौआ
नियम बना स्वयं तोड़ैत अछि कूकूर
लक्ष्य नहि बाटे-बाट पसरल
बेमतलब के दौड़ैत अछि कूकूर
आगि-पानि-बसात सभ बेकाजक
रंग-महल मे मौज उड़बैत अछि कूकूर
पदितो जाइ पड़ाइतो जाइ अनचिन्हार
एहिठाम कूकूरे के हबकैत अछि कूकूर
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शुक्रवार, 6 अगस्त 2010
गजल
तबीयत ठीक रहत
जँ नीयत ठीक रहत
खल-खल हँसती धरती
जँ रैयत ठीक रहत
हेतैक नीक देशक
जँ जेठरैयत ठीक रहत
बुड़िबक बेटा टके काबिल
जँ किस्मत ठीक रहत
हेबे करतैक समाधान
जँ सिकाइत ठीक रहत
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सोमवार, 2 अगस्त 2010
गजल
सोना भेटत सस्ता मँहग बड्ड चाउर देखब एक दिन
लोक एहिना लूटत हबाउर देखब एक दिन
अहाँ संग हमरा देखि सदिखन
लोक जरत आ बनत छाउर देखब एक दिन
विधान सभा लोक सभा शोक सभा
भूखल जनता दैत रहत धमाउर देखब एक दिन
हुनकर धोधिए देखि मेटा गेल भूख हमर
एहिना अँहू सभ करब चराउर देखब एक दिन
नोरक खिच्चरि दर्दक तिलबा कष्टक चुड़लाइ
एहिना हएत अनचिन्हार जड़ाउर देखब एक दिन
लोक एहिना लूटत हबाउर देखब एक दिन
अहाँ संग हमरा देखि सदिखन
लोक जरत आ बनत छाउर देखब एक दिन
विधान सभा लोक सभा शोक सभा
भूखल जनता दैत रहत धमाउर देखब एक दिन
हुनकर धोधिए देखि मेटा गेल भूख हमर
एहिना अँहू सभ करब चराउर देखब एक दिन
नोरक खिच्चरि दर्दक तिलबा कष्टक चुड़लाइ
एहिना हएत अनचिन्हार जड़ाउर देखब एक दिन
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