गुरुवार, 4 नवंबर 2010

गजल

सभ के दियाबातीक शुभकामना

गुंगुआइत बसात चुप्प रहू

पदुराइत बसात चुप्प रहू



चारु दिस पसरि गेल धूआँ

पझाइत बसात चुप्प रहू



अहाँक कुठां जड़ि जमेने अछि

किकिआइत बसात चुप्प रहू



अहूँ पर हँसत केओ एक दिन

ठिठिआइत बसात चुप्प रहू



जे भेटत अनचिन्हारे भेटत

चिचिआइत बसात चुप्प रहू

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों