इ की केलिऐक बैसले-बैसल अहाँ
आगि लगा देलिऐक बैसले-बैसल अहाँ
रोड़ी कहींक इँटा,बालु, सीमेंट कहींक
महल बना लेलिऐक बैसले-बैसल अहाँ
अगसतस्य पीने छलाह एकटा नदी
सागर सोखि गेलिऐक बैसले-बैसल अहाँ
इन्द्र की करताह परतर अहाँ सँ
जनतंत्र जन्मा देलिऐक बैसले-बैसल अहाँ
लाठी-भाला लए तैआर खेतिहर
परड़ू ठुका देलिऐक बैसले बैसल अहाँ
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