सोमवार, 15 नवंबर 2010

गजल

इ की केलिऐक बैसले-बैसल अहाँ

आगि लगा देलिऐक बैसले-बैसल अहाँ


रोड़ी कहींक इँटा,बालु, सीमेंट कहींक

महल बना लेलिऐक बैसले-बैसल अहाँ


अगसतस्य पीने छलाह एकटा नदी

सागर सोखि गेलिऐक बैसले-बैसल अहाँ


इन्द्र की करताह परतर अहाँ सँ

जनतंत्र जन्मा देलिऐक बैसले-बैसल अहाँ


लाठी-भाला लए तैआर खेतिहर

परड़ू ठुका देलिऐक बैसले बैसल अहाँ

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों