सोमवार, 22 नवंबर 2010

गजल

बाट अन्हार मे डूबल केकरा बजाउ

जगैत लोक सूतल केकरा बजाउ



चललहुँ लए सप्पत रहब एक संग

बहुतों मोड़ पर छूटल केकरा बजाउ



दुनियाँ इ घालमेलक इ दुनियाँ भ्रमजाल

दुनियाँ स्वर्ण-सुन्नरि-बोतल केकरा बजाउ



राम छथि ठगाएल अल्ला छथि बौआएल

मंदिर-मस्जिद टूटल केकरा बजाउ



लिखबाक लेल व्यग्र अनचिन्हार शेर

अछि अपूर्ण गजल केकरा बजाउ

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों