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- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
रविवार, 14 अप्रैल 2013
गजल
माँ शारदे वरदान दिअ
हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ
हरि ली सभक अन्हार हम
एहन इजोतक दान दिअ
सुनि दोख हम कखनो अपन
दुख नै हुए ओ कान दिअ
गाबी अहीँकेँ गुण सगर
सुर कन्ठ एहन तान दिअ
बुझि पुत्र ‘मनु’केँ माँ अपन
कनिको हृदयमे स्थान दिअ
(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
खोजबीनक कूट-शब्द:
जगदानन्द झा 'मनु',
भक्ति गजल,
मैथिली भक्ति गजल,
Maithili Bhakti Gazhal
मंगलवार, 9 अप्रैल 2013
गजल
गजल-1.61
मृत्युक दयासँ किछु पल हँसि कऽ जीबै छै
पैंचा लऽ साँस, दिन सुख दुखसँ काटै छै
छै शेर घरहिंमे बलगर निडर बुधिगर
बाहर निकलि कुकुरकें देख भागै छै
ओझाक फेरमे जनता झड़कि रहलै
ज्ञानक किताब शाइत घून चाटै छै
सासुरक लेल केलक हवण निज इच्छा
तखनो बहुत धियाकें वैह मारै छै
जुनि आँखि आब देखैयौ अहाँ ककरो
नेना सगर भरल बंदूक राखै छै
छै पूछ मात्र ओकर एहि दुनियाँमे
जे जेब काटि बड खैरात बाँटै छै
मुस्तफइलुन-मफाईलुन-मफाईलुन
2212-1222-1222
अमित मिश्र
मृत्युक दयासँ किछु पल हँसि कऽ जीबै छै
पैंचा लऽ साँस, दिन सुख दुखसँ काटै छै
छै शेर घरहिंमे बलगर निडर बुधिगर
बाहर निकलि कुकुरकें देख भागै छै
ओझाक फेरमे जनता झड़कि रहलै
ज्ञानक किताब शाइत घून चाटै छै
सासुरक लेल केलक हवण निज इच्छा
तखनो बहुत धियाकें वैह मारै छै
जुनि आँखि आब देखैयौ अहाँ ककरो
नेना सगर भरल बंदूक राखै छै
छै पूछ मात्र ओकर एहि दुनियाँमे
जे जेब काटि बड खैरात बाँटै छै
मुस्तफइलुन-मफाईलुन-मफाईलुन
2212-1222-1222
अमित मिश्र
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
amit mishra
सोमवार, 8 अप्रैल 2013
गजल
गजल-15
गणितक ओझराएल हिसाब छी हम
सुधि नहि रहल कोनो शराब छी हम
शोणित बहाबै लड़ि कऽ अपनेमे सब
दुखसँ छटपटाइत तेजाब छी हम
एक एक आखरमे अनन्त भाव अछि
बुझै सब अनचिन्हार किताब छी हम
पाथरसँ बस चोटक आशा करै छी
काँटमे फूलाएल एगो गुलाब छी हम
निर्लज्ज भऽ गेल जमाना कनिको लाज नै
बिसरि गेल हमरा की खराब छी हम
चलि रहल देखू आब कागजेपर देश
"सुमित" की कहतै एतऽ जबाब छी हम
वर्ण-15
सुमित मिश्र
करियन, समस्तीपुर
गणितक ओझराएल हिसाब छी हम
सुधि नहि रहल कोनो शराब छी हम
शोणित बहाबै लड़ि कऽ अपनेमे सब
दुखसँ छटपटाइत तेजाब छी हम
एक एक आखरमे अनन्त भाव अछि
बुझै सब अनचिन्हार किताब छी हम
पाथरसँ बस चोटक आशा करै छी
काँटमे फूलाएल एगो गुलाब छी हम
निर्लज्ज भऽ गेल जमाना कनिको लाज नै
बिसरि गेल हमरा की खराब छी हम
चलि रहल देखू आब कागजेपर देश
"सुमित" की कहतै एतऽ जबाब छी हम
वर्ण-15
सुमित मिश्र
करियन, समस्तीपुर
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
sumit mishra
रविवार, 7 अप्रैल 2013
गजल
गजल-1.60
अम्बरमे जते तरेगण पसरल छै
ओते जनम धरि दुनू प्रेमी रहबै
ने अधलाह करब ककरो जग भरिमे
हमरो संग सब किओ नीके करतै
हँसि हँसि झाँपने कते दर्दक सागर
असगरमे नयनसँ शोणित बनि बहतै
मंगल अमर उधम भगतक जोड़े की
नव इतिहास रचि युवे अमरो बनतै
भाषा प्रीत केर जानै छी केवल
दोसर भाव "अमित" नै विचलित करतै
2221-2122-222
अमित मिश्र
अम्बरमे जते तरेगण पसरल छै
ओते जनम धरि दुनू प्रेमी रहबै
ने अधलाह करब ककरो जग भरिमे
हमरो संग सब किओ नीके करतै
हँसि हँसि झाँपने कते दर्दक सागर
असगरमे नयनसँ शोणित बनि बहतै
मंगल अमर उधम भगतक जोड़े की
नव इतिहास रचि युवे अमरो बनतै
भाषा प्रीत केर जानै छी केवल
दोसर भाव "अमित" नै विचलित करतै
2221-2122-222
अमित मिश्र
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
amit mishra
गजल
गजल-1.58
काटल तँ तोहर आब पानि नै माँगत
तूँ भाग्य यदि हेबें बिमुख तँ के जीयत
लाठी पटकि मीता करत जँ लतमर्दन
नेनपनमे संगीक मोह नै छूटत
सकपंज छी चिमनी बनल जँ मुँह मनुखक
निज संग आनो के तँ असमय मारत
नै मरल छै बेमार मात्र शासन छै
आन्हर बनल पुतला तँ कोर्टमे टूटत
अलबत्त लागै छै मनुख बदलि गेलै
रौदा सहै जे आब कारमे पाकत
मुस्तफइलुन-मुस्तफइलुन-मफाईलुन
2212-2212-1222
अमित मिश्र
काटल तँ तोहर आब पानि नै माँगत
तूँ भाग्य यदि हेबें बिमुख तँ के जीयत
लाठी पटकि मीता करत जँ लतमर्दन
नेनपनमे संगीक मोह नै छूटत
सकपंज छी चिमनी बनल जँ मुँह मनुखक
निज संग आनो के तँ असमय मारत
नै मरल छै बेमार मात्र शासन छै
आन्हर बनल पुतला तँ कोर्टमे टूटत
अलबत्त लागै छै मनुख बदलि गेलै
रौदा सहै जे आब कारमे पाकत
मुस्तफइलुन-मुस्तफइलुन-मफाईलुन
2212-2212-1222
अमित मिश्र
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
amit mishra
शनिवार, 6 अप्रैल 2013
गजल
घोड़ा जखन कोनो भऽ नाँगड़ जाइ छै
कहि ओकरा मालिक झटसँ दै बाइ छै
माए बनल फसरी तँ बाबू बोझ छथि
नव लोक सभकेँ लेल सभटा पाइ छै
घर सेबने बैसल मरदबा छै किए
चिन्हैत सभ कनियाँक नामसँ आइ छै
कानूनकेँ रखने बुझू ताकपर जे
बाजार भरिमे ओ कहाइत भाइ छै
खाए कए मौसी हजारो मूषरी
बनि बैसलै कोना कऽ बड़की दाइ छै
पोसाकमे नेताक जिनगी भरि रहल
जीतैत मातर देशकेँ ‘मनु’ खाइ छै
(बहरे रजज, मात्रा क्रम २२१२ तीन तीन बेर)
जगदानन्द झा ‘मनु’
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु'
बुधवार, 3 अप्रैल 2013
हजल
हजल-7
झाड़ू उठा मारलनि बेलन चला मारलनि
कोना कहब अपने मुँहे, करछुल धिपा मारलनि
खगता तँ दूधक मुदा दोकानमे सठल छल
ओ देख पाउडर दूधक नऽह गड़ा मारलनि
बासी बचल खीर हमरे लेल राखल सदति
मिसियो जँ छूटल तँ ओ चेरा उठा मारलनि
साड़ी कते कीन फेकत माँझ आँगन नचा
हम सैंत नै सकल तें घेंटी दबा मारलनि
जे पीब लेलौं कने ओ झाड़ि देलनि नशा
हम रंग लगबौं तँ ओ दाँते धसा मारलनि
ने हम बचब ने बचत सड़ि गेल हमरे गजल
कनियाँ हमर कलमपर नैना चला मारलनि
मुस्तफइलुन-फाइलुन
2212-212 दू बेर
बहरे-बसीत
अमित मिश्र
झाड़ू उठा मारलनि बेलन चला मारलनि
कोना कहब अपने मुँहे, करछुल धिपा मारलनि
खगता तँ दूधक मुदा दोकानमे सठल छल
ओ देख पाउडर दूधक नऽह गड़ा मारलनि
बासी बचल खीर हमरे लेल राखल सदति
मिसियो जँ छूटल तँ ओ चेरा उठा मारलनि
साड़ी कते कीन फेकत माँझ आँगन नचा
हम सैंत नै सकल तें घेंटी दबा मारलनि
जे पीब लेलौं कने ओ झाड़ि देलनि नशा
हम रंग लगबौं तँ ओ दाँते धसा मारलनि
ने हम बचब ने बचत सड़ि गेल हमरे गजल
कनियाँ हमर कलमपर नैना चला मारलनि
मुस्तफइलुन-फाइलुन
2212-212 दू बेर
बहरे-बसीत
अमित मिश्र
खोजबीनक कूट-शब्द:
हजल,
amit mishra
गजल
गजल-1.59
छुट्टा साँढ़ सन किए छिछियाइत छी
अनकर खेतमे किए घुसियाइत छी
लागै चोट बड हँसी सन झटहा खा
आनक शोकमे किए ठिठियाइत छी
भरि भरि फूसि सगर पिचकारी मारै
बुझने बिनु कथा किए पतियाइत छी
भ्रष्टाचार हमर नेंतसँ जनमल अछि
तें पहिने अहाँ कहाँ सरियाइत छी
जनते लोकतंत्रमे राजा रहतै
अपने राज्यमे किए भसियाइत छी
2221-2122-222
अमित मिश्र
छुट्टा साँढ़ सन किए छिछियाइत छी
अनकर खेतमे किए घुसियाइत छी
लागै चोट बड हँसी सन झटहा खा
आनक शोकमे किए ठिठियाइत छी
भरि भरि फूसि सगर पिचकारी मारै
बुझने बिनु कथा किए पतियाइत छी
भ्रष्टाचार हमर नेंतसँ जनमल अछि
तें पहिने अहाँ कहाँ सरियाइत छी
जनते लोकतंत्रमे राजा रहतै
अपने राज्यमे किए भसियाइत छी
2221-2122-222
अमित मिश्र
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
amit mishra
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