गजल-1.58
काटल तँ तोहर आब पानि नै माँगत
तूँ भाग्य यदि हेबें बिमुख तँ के जीयत
लाठी पटकि मीता करत जँ लतमर्दन
नेनपनमे संगीक मोह नै छूटत
सकपंज छी चिमनी बनल जँ मुँह मनुखक
निज संग आनो के तँ असमय मारत
नै मरल छै बेमार मात्र शासन छै
आन्हर बनल पुतला तँ कोर्टमे टूटत
अलबत्त लागै छै मनुख बदलि गेलै
रौदा सहै जे आब कारमे पाकत
मुस्तफइलुन-मुस्तफइलुन-मफाईलुन
2212-2212-1222
अमित मिश्र
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रविवार, 7 अप्रैल 2013
गजल
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amit mishra
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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