गजल
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मोनके बात कहि दिअ
प्रेमके संग बहि दिअ
दिल हमर अखन खाली
ताहिमें प्रिय रहि दिअ
मीठगर चोट नेहक
कनि अहाँ प्रिय सहि दिअ
ठोरपर हँसिक मोती
हँसि हँसिक प्रिय गहि दिअ
भावना हमर लिअ बुझि
दर्द मधुरसन नहि दिअ
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फायलुन्-फाइलातुन्.
२१२-२१२२
© लेखक - कुन्दन कुमार कर्ण
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