- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
रविवार, 17 मई 2015
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
कुन्दन कुमार कर्ण,
गजल
गुरुवार, 14 मई 2015
गजल
सम्पूर्ण भूकम्प पीड़ित आ एहि कारणे अपना सभक बीचसँ गुजरलप्रति श्रद्धाञ्लीस्वरूप समर्पित ई गजल
जै ठाँ छल काइल नित जिनगीक मुस्कान
तै ठाँ बस नोरक रहि गेलै किए स्थान
हे ईश्वर ई केहन खेल प्रकृति केर
लोकक घर जेना अछि बनि गेल शमसान
गजलक अक्षर-अक्षर कानैत अछि आब
कहि धरती कोना यौ बनि गेल बइमान
कहियो सुन्नरता जै देशक रहल शान
छन भरिमे सभ ओ मेटा गेल पहचान
आशा मोनक कुन्दन अछि जीविते मोर
उगबे करतै जिनगीमे एक दिन चान
मात्राक्रम : 222-222-221-221
© कुन्दन कुमार कर्ण
जै ठाँ छल काइल नित जिनगीक मुस्कान
तै ठाँ बस नोरक रहि गेलै किए स्थान
हे ईश्वर ई केहन खेल प्रकृति केर
लोकक घर जेना अछि बनि गेल शमसान
गजलक अक्षर-अक्षर कानैत अछि आब
कहि धरती कोना यौ बनि गेल बइमान
कहियो सुन्नरता जै देशक रहल शान
छन भरिमे सभ ओ मेटा गेल पहचान
आशा मोनक कुन्दन अछि जीविते मोर
उगबे करतै जिनगीमे एक दिन चान
मात्राक्रम : 222-222-221-221
© कुन्दन कुमार कर्ण
खोजबीनक कूट-शब्द:
कुन्दन कुमार कर्ण,
गजल
बुधवार, 13 मई 2015
गजल
भेटैत रहिहें कहियो काल
देखैत रहिहें कहियो काल
ई प्राण बनलौ तोरे लेल
झीकैत रहिहें कहियो काल
चर्चा हमर बस उड़िते रहतौ
सूनैत रहिहें कहियो काल
सुइटर सनक छै ई जीबन से
बूनैत रहिहें कहियो काल
हम फूल तों भमरा बनि बनि कऽ
सूँघैत रहिहें कहियो काल
सभ पाँतिमे 2212+2+2221 मात्राक्रम अछि।
तेसर आ चारिम शेरक दोसर पाँतिक अंतिम दीर्घकेँ संस्कृत परम्परानुसार लघु मानल गेल अछि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों