रविवार, 17 मई 2015

गजल

घर छोडि डरमे जी रहल छी
Kundan Kumar Karna
एहन शहरमे जी रहल छी

दिन राति छी काटैत एना
जेना कहरमे जी रहल छी

संसार अपनेमे मगन छै 
भगवान भरमे जी रहल छी

प्रकृतिसँ हारल अछि परिस्थिति
कालक असरमे जी रहल छी

मजबूर छी जिनगीसँ कुन्दन
तँइ एसगरमे जी रहल छी

मात्राक्रम : 221-222-122

© कुन्दन कुमार कर्ण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों