गुरुवार, 14 मई 2015

गजल

सम्पूर्ण भूकम्प पीड़ित आ एहि कारणे अपना सभक बीचसँ गुजरलप्रति श्रद्धाञ्लीस्वरूप समर्पित ई गजल

जै ठाँ छल काइल नित जिनगीक मुस्कान
तै ठाँ बस नोरक रहि गेलै किए स्थान

हे ईश्वर ई केहन खेल प्रकृति केर
लोकक घर जेना अछि बनि गेल शमसान

गजलक अक्षर-अक्षर कानैत अछि आब
कहि धरती कोना यौ बनि गेल बइमान

कहियो सुन्नरता जै देशक रहल शान
छन भरिमे सभ ओ मेटा गेल पहचान

आशा मोनक कुन्दन अछि जीविते मोर
उगबे करतै जिनगीमे एक दिन चान

मात्राक्रम : 222-222-221-221

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों