शुक्रवार, 26 जून 2015

गजल

जे रहैत छल लगमे, ओ दूर भ' गेल
हमर सौंसे करेज भूरे-भूर भ' गेल

बहुते यत्नसँ, घर प्रेमक बनेलहुँ
छुटिते संग सब, चकनाचूर भ' गेल

हाव-भाव ओकर ततेक ने बदलल
ओ बैर नहि रहल, ओ अंगूर भ' गेल

जाहि प्रश्नक उत्तर, बूझल नै हमरा
वैह प्रश्न किएक सोझाँ हुजूर भ' गेल

घुरि आउ मुकुन्द, अहाँ कोनो शर्त पर
आब शर्त सब हमरा, मंजूर भ' गेल

वर्ण-15.

 © बाल मुकुन्द पाठक

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों