नै हरियर नै पीयर छै बेरंगक ई जीवन
नै नोनगर नै मधुर छै बेढ़ंगक ई जीवन
मुहँ बान्हल नदी नै मिलत कहियो जलधिमे
ओहने व्याकुल बेकार बेउमंगक ई जीवन
की सुनत लोक गीत नाद आ की सुनत गजल
पीड़ा कराह सुनि भेल बेतरंगक ई जीवन
कठपुतली भ' नाचै लोक लोकक आँगुर पर
एहि ठाँ गोर हाथ रहितो अपंगक ई जीवन
आब जीयल दुलर्भ छै महँगी आ बइमानीसँ
भेल भ्रष्ट्राचारी तराजूक पासंगक ई जीवन
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 18
© बाल मुकुन्द पाठक
ओहने व्याकुल बेकार बेउमंगक ई जीवन
की सुनत लोक गीत नाद आ की सुनत गजल
पीड़ा कराह सुनि भेल बेतरंगक ई जीवन
कठपुतली भ' नाचै लोक लोकक आँगुर पर
एहि ठाँ गोर हाथ रहितो अपंगक ई जीवन
आब जीयल दुलर्भ छै महँगी आ बइमानीसँ
भेल भ्रष्ट्राचारी तराजूक पासंगक ई जीवन
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 18
© बाल मुकुन्द पाठक
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