शुक्रवार, 26 जून 2015

गजल


नै हरियर नै पीयर छै बेरंगक ई जीवन
नै नोनगर नै मधुर छै बेढ़ंगक ई जीवन

मुहँ बान्हल नदी नै मिलत कहियो जलधिमे
ओहने व्याकुल बेकार बेउमंगक ई जीवन

की सुनत लोक गीत नाद आ की सुनत गजल
पीड़ा कराह सुनि भेल बेतरंगक ई जीवन

कठपुतली भ' नाचै लोक लोकक आँगुर पर
एहि ठाँ गोर हाथ रहितो अपंगक ई जीवन

आब जीयल दुलर्भ छै महँगी आ बइमानीसँ
भेल भ्रष्ट्राचारी तराजूक पासंगक ई जीवन

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 18
© बाल मुकुन्द पाठक

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों