बुधवार, 1 जुलाई 2015

गजल

आनक सुख देखि क' कानि रहलै लोक
अपनाकेँ भाग्यहीन मानि रहलै लोक

आमदक स्त्रोत नै, खर्चक द्वार बहुतो
एक्कै पाइ बेर-बेर गानि रहलै लोक

बिसरि अपन भाषा, अपन संस्कारकेँ
अंग्रेजी संस्कृति एत' आनि रहलै लोक

पीबि लेलक घोरि-घोरि लाज-लेहाजकेँ
तनिको नै पैघकेँ गुदानि रहलै लोक

गाम-गाम जरि रहल दंगा-फसादमे
घूमि-घूमि जग्गह ठेकानि रहलै लोक

वर्णिक बहर, वर्ण-15

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों