गुरुवार, 10 मार्च 2016

गजल

रे हिया हमरा एतेक मजबूर नै कर
चाहमे ककरो हमरेसँ तूँ दूर नै कर

एकटा कित्ता अछि मोन सौँसे हमर ई
बाँटि टुकड़ी-टुकड़ीमे अलग धूर नै कर

काँच कोमल आ नवका जुआनी चढल छै
आगि यादक यौवनमे लगा घूर नै कर

एक त प्रेमक खातिर पिआसल रहै छी
ताहि पर आरो उकसाक आतूर नै कर

भागमे ककरा कुन्दन लिखल सब रहै छै
कल्पनामे डुबि एना मोनके झूर नै कर

212-2222-122-122

© कुन्दन कुमार कर्ण





























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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों