मैथिली गजलक संसारमे ‘अनचिन्हार आखर’
(जगदीश चन्द्र ठाकुर ‘अनिल’) विदेह अंक 200 सँ साभार
मैथिली गजल आ शेरो-शाइरीक लेल ‘अनचिन्हार आखर’ बहुत महत्वपूर्ण नाम अछि |
2008 मे इन्टरनेट पर मैथिली गजल आ शेरो-शाइरीक स्वतंत्र अभियान ल’क’ ‘अनचिन्हार आखर’ नामक ब्लागक संग उपस्थित भेलाह युवा रचनाकार आशीष अनचिन्हार | पहिल बेर गजेन्द्र ठाकुर द्वारा तेरह खंडमे गजल शास्त्र प्रस्तुत कएल गेल आ एतहिसं शुरू भेल मैथिलीमे सरल वार्णिक बहर | स्वयं आशीष अनचिन्हार सेहो एहि ब्लॉगपर मैथिलीमे गजल लिखबाक लेल व्याकरण प्रस्तुत करैत कतेक गजल लिखलनि आ आनो रचनाकार सभसं संपर्क कए हुनका सभकें प्रेरित केलनि गजल लिखबाक लेल |बहुत रचनाकार एहि अभियानमे सम्मिलित भेलाह |
इन्टरनेट पत्रिका ‘विदेह’क एक अंकमे सरल वार्णिक बहरमे आशीष अनचिन्हारक बहुत रास गजल प्रकाशित भेल |आशीषजीक एहेन 78 टा गजल 32 टा कता आ किछु रुबाइक संग वर्ष 2011 मे एक पोथीमे आएल जकर नाम अछि ‘अनचिन्हार आखर’जे हमरा जनैत मैथिलीमे पहिल एहेन पोथी अछि जाहिमे सरल वार्णिक बहरमे 78 टा गजल अछि |
एहि पोथीकें दू बेर पढलाक बाद हमर जे मंतव्य अछि से निम्नलिखित शब्दमे व्यक्त कएल जा रहल अछि :
1) एहि पोथीक आरम्भमे गजलक इतिहास आ मैथिली गजलक व्याकरण प्रस्तुत भेल अछि |शेर, मतला, रदीफ़, काफिया, मकता आ बहरसं नीक जकां परिचय कराओल गेल अछि |
2) पोथीमे 78 टा गजलक अतिरिक्त 32 टा कता आ 2 टा रुबाइ अछि |
3) 76 टा गजलमे रदीफ़ आ काफिया दूनू अछि | 2 टामे काफिया मात्र अछि |
4) 2 टा गजलमे 6 टा शेर अछि | शेषमे पांच-पांचटा शेर अछि |
5) वर्णक संख्याक अनुसार गजलक संख्या एहि तरहें अछि :
8 वर्णक 1 टा गजल अछि
9 वर्णक 1 टा गजल अछि
10 वर्णक 2 टा गजल अछि
11 वर्णक 4 टा गजल अछि
12 वर्णक 8 टा गजल अछि
13 वर्णक 3 टा गजल अछि
14 वर्णक 11 टा गजल अछि
15 वर्णक 12 टा गजल अछि
16 वर्णक 13 टा गजल अछि
17 वर्णक 7 टा गजल अछि
18 वर्णक 6 टा गजल अछि
19 वर्णक 4 टा गजल अछि 20 वर्णक 6 टा गजल अछि
21 वर्णक 1 टा गजल अछि
9 वर्णक 1 टा गजल अछि
10 वर्णक 2 टा गजल अछि
11 वर्णक 4 टा गजल अछि
12 वर्णक 8 टा गजल अछि
13 वर्णक 3 टा गजल अछि
14 वर्णक 11 टा गजल अछि
15 वर्णक 12 टा गजल अछि
16 वर्णक 13 टा गजल अछि
17 वर्णक 7 टा गजल अछि
18 वर्णक 6 टा गजल अछि
19 वर्णक 4 टा गजल अछि 20 वर्णक 6 टा गजल अछि
21 वर्णक 1 टा गजल अछि
(6 ) मतला : मतला सभमे रदीफ़/ काफियाक पालन नीक भेल अछि | अपवादमे निम्नलिखित गजल सभ अछि :
गजल क्रमांक--56 बुझाइत / मिझाइत गजल क्रमांक--71 तबीयत / रैयत
गजल क्रमांक--77 ओन्नी / मुन्नी
गजल क्रमांक--77 ओन्नी / मुन्नी
(7 ) काफिया : मतलाक काफिया आ आन शेर सभक काफियामे मिलान अछि | अपवादमे निम्नलिखित गजल सभकें देखल जाए :
गजल क्रमांक मतलाक काफिया आन शेर सबहक काफिया
10 दुराचार / भ्रष्टाचार बेकार, सरकार,अन्हार, अनचिन्हार
20 भड़ुएक / पहरुएक मालिएक, निशबदीएक
29 अदना/ पदना विपदा,तगमा,भगवा,सुगवा
35 रोकब/ ठोकब फ़ोड़ब,तोडब
36 बहन्ना / सन्ना जुन्ना
43 राति / पांति आँखि, माटि, हडाहि
55 टूटैत / छूटैत लुटैत, कटैत,खसैत
65 जरैत / डरैत भरतैक, बजैत, रहैत
67 खसा/ बसा बना,सजा,नचा
71 तबीयत / रैयत किस्मत
73 मानू / जानू बेकाबू
(8) मकता : बत्तीस टा गजलमे मकताक प्रयोग भेल अछि, से नीक भेल अछि |
(9) भाषा आ भाव पक्ष : गजलकारक अनुसार गजलकें प्रेमी-प्रेमिका ( आत्मा-परमात्मा )क गप्प-सप्प सेहो मानल जाइत छैक आ गप्प-सप्प सदिखन गद्यमे होइत छैक, तें गजल लेल गद्यात्मक भाषा हेबाक चाही | से गद्यात्मक भाषाक नीक स्तरक आकर्षण सभ रचनामे अछि |
गजलकार कहैत छथि : “हम अपन गजलमे (किछु शब्दक ) अपूर्ण रूपकें प्रधानता देने छी | पूर्ण रूपक प्रयोग हम खाली वर्ण आ मात्रा मिलेबाक लेल करैत छी |अपूर्ण भाषा गजलक लेल बेसी नीक |”
‘नहि’ के स्थानपर ‘नै’, ‘जाहिठाम’क बदला ‘जै ठाम’, ‘कतेक’ के बदला ‘कते’, हेतैक के बदला ‘हेतै’क प्रयोग शेर सभमे नीक लगैत छैक |
गजलमे मुख्य तत्व प्रेम होइत अछि |प्रेम कोनो मनुक्ख, प्रकृति,माटि-पानि, संस्कृति, भाषा, देश-दुनियासं भ’ सकैत अछि |
प्रेमक अभिव्यक्ति कतेक रूपमे भेल अछि : नोंक-झोंक, उलहन, उपराग,आक्रोश,आवेश आदि तत्व जहां-तहां विभिन्न गजलक शेर सभमे सुच्चा मैथिल दृष्टि नेने भेटल अछि | बानगीक रूपमे देखल जाए निम्नलिखित शेर सभ :
‘भूखक दर्द होइत छैक प्रकाशोसँ तेज
देखू पेटक खातिर दलाल बनल लोक’
‘चुप्प रहत मनुख गिदर भुकबे करतै
निर्जीव तुलसी चौरा कुकुर मुतबे करतै’
‘हरेक समय बितैए दुःख आ दर्दमे
गरीब लेल नव-पुरान की साल हेतै’
‘देहे जिन्दा भावना मरि गेलै
जग लगैए समसान सन’
‘नहि बनत केओ राम मुदा
सेवक चाही हनुमान सन ’
‘रामक आदर्श तँ मरि गेल हुनके संगे
बुझू आब तँ खाली हुनक नाम चलैए’
‘ जे नै कमा सकए टका बेसीसं बेसी
लोक तँ ओकरे बुझैछै बेकार सन ‘
‘घोघक रहस्य त एना बुझियौ
झरकल मूंह झपनहि नीक.’
‘लोक जहर दैए मुस्किया कए
आब त हँसीसँ डरनहि नीक’
‘हाथ सटेलासँ मोन केना भरतै
अहाँ करेजसं सटा लिअ हमरा’’
‘जाइ छी मुदा जेबाक मोन नै अछि
कोनो सप्पतसं घुरा लिअ हमरा’
‘नून नै चटबए पड़तै बेटीकें
आब तँ गर्भपात लेल युद्ध’
‘बुड़िबक देवी कुरथी अक्षत
हम एहने विकास करैत छी’
‘अहाँक दरस-परस बड्ड महग अछि
सटि जैतहुँ अहाँक देहमे बसात भेने’
‘सबहक घरमे एकटा अगत्ती जन्मए
सरकारक निन्न टुटै छै खुरफात भेने ‘
‘हमरा अहाँ नीक लगै छी सभ दिनसं
मुदा प्रेम अछि से कहि नहि पबैत छी’
अहाँकें प्रभावित करबाक लेल, चुप्प करबाक लेल, सोचबाक लेल, विचार करबाक लेल आ बेरपर मोन रखबाक लेल सैकडो शेरसं भरल अछि एहि पोथीक गजल सभ |
पोथीक सम्बन्धमे अपन टिप्पणी प्रस्तुत करैत गजेन्द्र ठाकुरजी कहैत छथि :
“मैथिलीक पुनर्जागरणक ऐ समएमे ऐ पोथीक आगमन मैथिली आ मात्र मैथिलीक पक्षमे एकटा सार्थक हस्तक्षेप सिद्ध हएत | स्वतः स्फूर्त गजलमे जे गेयता आ प्रवाह होइ छै से ऐ संग्रहक सभ गजल, रुबाइ आ कतामे अहाँकें भेटत |”
हम एहि टिप्पणीक समर्थन करैत छी |
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