बुधवार, 4 मई 2016

गजल

गजल

भगत छै एहि ठाँ डलवाह नै छै
सते ककरो कतौ परवाह नै छै

रहै खेतक हरियरी बिन मवेशी
दुइभ बड छै मुदा चरवाह नै छै

कहै मिथिलाक हम उद्धार करबै
मुदा भाषा अपनपर वाह नै छै

बनै छै खेत उस्सर आब मीता
पलायन कारणसँ हरवाह नै छै

कहै छै सब मुहेंपर गजल सुन्नर
मुदा पुनि पीठ पाछू वाह नै छै

१२२२-१२२२-१२२
अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों