सोमवार, 23 जनवरी 2017

गजल

हरजाइ छलै ओ
कस्साइ छलै ओ

घाटा छथि अपने
भरपाइ छलै ओ

भोरक भूखल लग
लटुआइ छलै ओ

लक्ष्य जकर बहकल
अगुताइ छलै ओ

देखि कऽ अनचोक्के
पछताइ छलै ओ

अनचिन्हारेपर
नितराइ छलै ओ

सभ पाँतिमे 22-22-2 मात्राक्रम अछि
दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों