बुधवार, 5 जुलाई 2017

गजल

जे कल्पनामे डुबा दै ओ छथि कवि
जे भावनामे बहा दै ओ छथि कवि

शब्दक मधुरतासँ करि मति परिवर्तन
जे दू हियाके मिला दै ओ छथि कवि

साहित्य मानल समाजक अयना छै
जे सोचके नव दिशा दै ओ छथि कवि

खतरा प्रजातन्त्र पर जौँ-जौँ आबै
जे देश जनता जगा दै ओ छथि कवि

संसार भरि होइ छै झूठक खेती
जे लोकके सत बता दै ओ छथि कवि

रचनासँ कुन्दन करै जादू एहन
जे चान दिनमे उगा दै ओ छथि कवि

2212-2122-222

© कुन्दन कुमार कर्ण

http://www.kundanghazal.com

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों