रविवार, 30 जुलाई 2017

गजल

भरल बरिसातमे नै सताउ सजनी
किए छी दूर लग आबि जाउ सजनी

मिलनके आशमे अंग-अंग तरसै
बदन पर वुँद नेहक गिराउ सजनी

पिआसल मोन मधुमासमे उचित नै
जुआनी ओहिना नै गमाउ सजनी

जियब जा धरि करब नेह हम अहीँके
हियामे रूप हमरे सजाउ सजनी

खुशीमे आइ कुन्दन गजल सुनाबै
मजा एहन समयके उठाउ सजनी

122-212-212-122

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों