रविवार, 8 अप्रैल 2018

गजल

केओ सम्मानक भूखल
केओ पकवानक भूखल

अपने आकांक्षा खातिर
पण्डा भगवानक भूखल

करनी धरनी छाउर सन
नेता गुनगानक भूखल

धरतीपर चल' नै जानै
कवि छथि से चानक भूखल

अपना चाहे जे किछु हो
अनकर नुकसानक भूखल

संतुष्टी सपना लोकक
सब अनठेकानक भूखल

22-222-22

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों