गुरुवार, 12 जुलाई 2018

गजल

किछु ने बाजल जानि कऽ
अपने थाकल कानि कऽ

ई हँसी दिन दू दिनक
खुश छै नोरे गानि कऽ

किछु हेतै से कहि
सुतलै चद्दरि तानि कऽ

नुकेलासँ बुझाइए
लागल छै समधानि कऽ

धर्मात्मा बनि गेलहुँ
धर्मक रेखा फानि कऽ

सभ पाँतिमे 222-222 मात्राक्रम अछि। दू टा अलग अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों