मंगलवार, 24 जुलाई 2018

गजल

देश भरि कहादन रेल चलतै आब
फेर किछु विकासक खेल चलतै आब

थालमे धमाधम पीच करतै बाट
टोल-टोल हेलम हेल चलतै आब

कामकाज हेतै सारहे बाईस
योजनाक खातिर झेल चलतै आब

बुद्धिमान सब बेहोश जेना भेल
राजकाजमे बकलेल चलतै आब

नागरिकसँ उप्पर छै बनल सरकार
लोकतन्त्र ककरा लेल चलतै आब

राजनीतिमे कुन्दन बढल अपराध
जन जनारदनके जेल चलतै आब

212-122-212-221

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों