सोमवार, 17 अगस्त 2020

मैथिली गजल

राति चुप अछि आ गगन के ओ चान चुप अछि

फेरि  के  आँगनसँ   मुँह  ई   दलान  चुप  अछि

छोड़ि  के  चलि  गेला  जहियासँ  सभके  बाबा
माँछ-पोखरि,   खेत-गाछी,  मचान   चुप  अछि

बाजि  के  टप  टप   अहाँ  पैघ   नै  भ'  जायब
पैघ  अछि  ओ जे  कि सागर समान  चुप अछि

रूप  हुनकर  "मीर"  के सब  गजलसँ  बढ़ि  के
तँइ  हमर  सब शे'र  बनि  के अकान  चुप अछि

फेर   छी   सबटा   समयक  ई   आर   किछु  नै
शोर  चुप्पी अछिक' रहल  आ  जुबान चुप अछि

~आशुतोष मिश्रा 'अज़ल'

मात्रा क्रम:-२१२२ २१२२ १२१ २२

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों