मंगलवार, 30 जुलाई 2013

गजल

भरल साओनमें नहि सताउ सजनी
किया छी दूर, लग आबिजाउ सजनी

बरसि रहलै गरजि मेघ अंगनामें
अहाँ सेहो हमर संगमें भीजऽ आउ सजनी

पहिरके वस्त्र हरिअर शरीरमें प्रिय
हरितके संग सावन मनाउ सजनी

पियासल मोनमें, जरल एहि तनमें
ठरल नेहक अपेक्षा जगाउ सजनी

अहाँ छी हमर, हम बलम छी अहाँकें
हियामें रुप हमरे सजाउ सजनी

मिलनके आश पूरा कऽ लिअऽ प्रियतमसँ
मधुर मिलनक समय नहि लजाउ सजनी

अपन जानिकऽ अहाँ कुन्दनक हियापर
हँसीके तीर ठोरसँ चलाउ सजनी

१२२ २१२ २१२ १२२

© कुन्दन कुमार कर्ण
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों