बुधवार, 21 जनवरी 2015

गजल

छाती लगा सुतलहुँ सुतली रातिमे
घामे नहा उठलहुँ सुतली रातिमे

संसार कहलक हमरा दुख नै मुदा
बेसी अहीँ कहलहुँ सुतली रातिमे

बाते छलै एहन जे चुपचाप हम
मूड़ी झुका कनलहुँ सुतली रातिमे

सभ थाकि गेलै तकरा बादे सखी
हमहूँ कनी नचलहुँ सुतली रातिमे

पौआ पसेरी संगे एलै तखन
मुस्की अपन बटलहुँ सुतली रातिमे

सभ पाँतिमे मात्राक्रम 2212+222+2212 अछि।

सुझाव सादर आमंत्रित अछि। 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों