साँचमे शायद ओ नै चाहैत रहै
मोन झुठ्ठे सदिखन पतिआबैत रहै
फुलि हमर आगू ओ सुन्नर फूल जकाँ
बाग पाछू अनकर गमकाबैत रहै
हम हियामे बैसेलहुँ बुझि नेह अपन
तेँ सदति हमरा ओ तड़पाबैत रहै
साँच नेहक दुनियामे अछि मोल कहाँ
लोक जैमे जिनगी बीताबैत रहै
जाइ छल मन्दिर नित कुन्दन संग मुदा
प्राथनामे दोसरकेँ माँगैत रहै
मात्राक्रम : 212-222-2221-12
© कुन्दन कुमार कर्ण
मोन झुठ्ठे सदिखन पतिआबैत रहै
फुलि हमर आगू ओ सुन्नर फूल जकाँ
बाग पाछू अनकर गमकाबैत रहै
हम हियामे बैसेलहुँ बुझि नेह अपन
तेँ सदति हमरा ओ तड़पाबैत रहै
साँच नेहक दुनियामे अछि मोल कहाँ
लोक जैमे जिनगी बीताबैत रहै
जाइ छल मन्दिर नित कुन्दन संग मुदा
प्राथनामे दोसरकेँ माँगैत रहै
मात्राक्रम : 212-222-2221-12
© कुन्दन कुमार कर्ण
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें