शनिवार, 31 जनवरी 2015

गजल

आब सहब नै दाबन ककरो
जोर जुलुम आ चापन ककरो

गेल जमाना क्रूरक सभकेँ
घर त हमर छल आसन ककरो

भेल बहुत जे भेलै काइल
लोक सुनै बस भाषण ककरो

पूत मधेसक छी स्वभिमानी
सहि कऽ रहब नै शोषण ककरो

दर्द विभेदक भारी कुन्दन
माथ हमर अछि चानन ककरो

मात्राक्रम : 2112-222-22

© कुन्दन कुमार कर्ण

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों