शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

गजल

देह अजगर भऽ गेलै
मोन साँखर भऽ गेलै

हाथ पीयर नै भेलै
मूँह पीयर भऽ गेलै

ठोर छै संगमरमर
बोल पाथर भऽ गेलै

भोर छै घोघ सनकेँ
साँझ आँचर भऽ गेलै

ई प्रचारो कमालक
दाग उज्जर भऽ गेलै

सभ पाँतिमे 2122+122 मात्राक्रम अछि
दोसर शेरकक पहिल पाँतिमे एकटा दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि संगे संग ऐ शेरमे तकाबुले-रदीफ नामक दोष अछि मुदा ऐ शेरसँ हमरा मोह भऽ गेल। गुणीजनसँ आग्रह जे सुधार बताबथि।
सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों