अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शनिवार, 28 जनवरी 2017
रुबाइ
आँखिमे किछु शरम राखब जरूरी छै
मोनमे किछु धरम राखब जरूरी छै
जीवन गुजारि सकै छी असगरो मुदा
संबंधक किछु भरम राखब जरूरी छै
सोमवार, 23 जनवरी 2017
गजल
हरजाइ छलै ओ
कस्साइ छलै ओ
घाटा छथि अपने
भरपाइ छलै ओ
भोरक भूखल लग
लटुआइ छलै ओ
लक्ष्य जकर बहकल
अगुताइ छलै ओ
देखि कऽ अनचोक्के
पछताइ छलै ओ
अनचिन्हारेपर
नितराइ छलै ओ
सभ पाँतिमे 22-22-2 मात्राक्रम अछि
दू टा अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि
गुरुवार, 19 जनवरी 2017
गजल
कियो चूसि गेलै बहुत
कियो हूसि गेलै बहुत
कनी बातपर जानि कऽ
कियो रूसि गेलै बहुत
छलै मूँह बड़ सान के
कियो दूसि गेलै बहुत
रहै भूर कनियें मुदा
कियो घूसि गेलै बहुत
अहाँ सन कि हमरे सनक
से महसूसि गेलै बहुत
सभ पाँतिमे 122-122-12 मात्राक्रम अछि
दोसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम लघु संस्कृतानुसार दीर्घ मानल गेल अछि
अंतिम शेरक दोसर पाँतिमे एकटा दीर्घकेँ लघु मानल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि
शुक्रवार, 13 जनवरी 2017
गजल
कनियें दूर नबाबक गाम बहुते दूर विकासक गाम बीचो बीच फसादी ठाढ़ चारू कात लहासक गाम किनको लेल हजारो लाख किनको लेल उधारक गाम बड़ खुश बाजि कऽ नव नौतार चुप्पे चूप पुरानक गाम अंतिम रूप दुखक एहन छै दाही माँगै सुखाड़क गाम सभ पाँतिमे 2221 + 12221 मात्राक्रम अछि पाँचम शेरक दूनू पाँतिमे एक-एकटा दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि सुझाव सादर आमंत्रित अछि
शनिवार, 7 जनवरी 2017
रुबाइ
आइ लभ यू बाजब बड़का साधना छै
चुप्पे रहि कऽ चाहब बड़का साधना छै
मानै छी जे दुनियाँ देखने हेबै मुदा
हुनकर रूप निहारब बड़का साधना छै
बुधवार, 4 जनवरी 2017
गजल
बड़का बड़का धारे झा
सौंसे छै बुधियारे झा
मुरदा सन के दुनियाँ छै
की करता हथियारे झा
सूतल दुखिया मोन हमर
जागल बस संसारे झा
हमरा लग सुखले सुक्खल
हुनका लग रसदारे झा
अगुअति धेने एकै दू
बड़ बैसल पछुआरे झा
सभ पाँतिमे 222-222-2 मात्राक्रम अछि
दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि
सुझाव सादर आमंत्रित अछि
सोमवार, 2 जनवरी 2017
गजल
देशमे उत्फाल नवका
दर्द पुरने हाल नवका
धार जानै नेत सभहँक
माछ पुरने जाल नवका
किछु चुनौती फेर एलै
लोक ठोकै ताल नवका
छै जरूरे खाद फेंटल
खेत पुरने टाल नवका
दाग लगने इज्जते छै
देह चाहै थाल नवका
सभ पाँतिमे 2122+2122 मात्राक्रम अछि (बहरे रमल मोरब्बा सालिम वा बहरे रमल सालिम चारि रुक्नी)
सुझाव सादर आमंत्रित अछि
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