गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू "तवायफ" फिल्म केर ई नज्म जे कि आशा भोंसले द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि हसन कमाल। संगीतकार छथि रवि। ई फिल्म 1985 मे रिलीज भेलै। एहिमे अशोक कुमार, ॠषि कपूर, रति अग्निहोत्री,पूनम ढ़िल्लन आदि कलाकार छलथि।
बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी
हुज़ुर आते-आते बहुत देर कर दी
मसीहा मेरे तूने बीमार-ए-ग़म की
दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी
मुहब्बत के दो बोल सुनने न पाए
वफ़ाओं के दो फूल चुनने न पाए
तुझे भी हमारी तमन्ना थी ज़ालिम
बताते-बताते बहुत देर कर दी
कोई पल में दम तोड़ देंगी मुरादें
बिखर जाएँगी मेरी ख़्वाबों की यादें
सदा सुनते-सुनते ख़बर लेते-लेते
पता पाते-पाते बहुत देर कर दी
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122 122 122 122 अछि। एहि नज्मक पहिल शेरक दोसर पाँतिमे आएल "हुजुर" शब्दक सही रूप "हुजूर" अछि मुदा बहर निर्वाह लेल "हुजुर" उच्चारण लेल गेल छै। ओनाहुतो ई नज्म छै। जाहिमे बहुत नीक जकाँ बहरक निर्वाह भेल छै। एहि नज्मक ई शेर बहुप्रयोगी अछि........
मसीहा मेरे तूने बीमार-ए-ग़म की
दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी
ई शेर जतबे सांसारिक प्रेम लेल छै ततबे राजनीतिक व्यंग्य सेहो छै। घरक कोनो सदस्यक उपराग सेहो ई शेर भ' सकैए। निच्चा देल भीडियोसँ ई नज्म सुनि सकैत छी।
आइ देखू "तवायफ" फिल्म केर ई नज्म जे कि आशा भोंसले द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि हसन कमाल। संगीतकार छथि रवि। ई फिल्म 1985 मे रिलीज भेलै। एहिमे अशोक कुमार, ॠषि कपूर, रति अग्निहोत्री,पूनम ढ़िल्लन आदि कलाकार छलथि।
बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी
हुज़ुर आते-आते बहुत देर कर दी
मसीहा मेरे तूने बीमार-ए-ग़म की
दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी
मुहब्बत के दो बोल सुनने न पाए
वफ़ाओं के दो फूल चुनने न पाए
तुझे भी हमारी तमन्ना थी ज़ालिम
बताते-बताते बहुत देर कर दी
कोई पल में दम तोड़ देंगी मुरादें
बिखर जाएँगी मेरी ख़्वाबों की यादें
सदा सुनते-सुनते ख़बर लेते-लेते
पता पाते-पाते बहुत देर कर दी
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 122 122 122 122 अछि। एहि नज्मक पहिल शेरक दोसर पाँतिमे आएल "हुजुर" शब्दक सही रूप "हुजूर" अछि मुदा बहर निर्वाह लेल "हुजुर" उच्चारण लेल गेल छै। ओनाहुतो ई नज्म छै। जाहिमे बहुत नीक जकाँ बहरक निर्वाह भेल छै। एहि नज्मक ई शेर बहुप्रयोगी अछि........
मसीहा मेरे तूने बीमार-ए-ग़म की
दवा लाते-लाते बहुत देर कर दी
ई शेर जतबे सांसारिक प्रेम लेल छै ततबे राजनीतिक व्यंग्य सेहो छै। घरक कोनो सदस्यक उपराग सेहो ई शेर भ' सकैए। निच्चा देल भीडियोसँ ई नज्म सुनि सकैत छी।
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