बौआ हमर छै बुधिआर
लोकक करै छै सत्कार
ज्ञानी जकाँ कनिये टासँ
माएसँ सिखलक संस्कार
संगी बना ओ पोथीक
मानै कलमके संसार
खाना समयपर खेलासँ
देखू बनल छै बौकार
हँसिते रहल सदिखन खूब
मुस्कान देलक उपहार
कुन्दनसँ खेलाइत काल
जितबाक केलक जोगार
बहरे - मुन्सरह
© कुन्दन कुमार कर्ण
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