गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------
आइ देखू "सूरज" फिल्म केर ई नज्म जे कि मो. रफीजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि हसरत जयपुरी। संगीतकार छथि शंकर जयकिशन। ई फिल्म 1966 मे रिलीज भेलै। एहिमे राजेंद्र कुमार, वैजयन्तीमाला आदि कलाकार छलथि।
बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
हवाओं रागिनी गाओ मेरा महबूब आया है
ओ लाली फूल की मेंहँदी लगा इन गोरे हाथों में
उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में
सितारों माँग भर जाओ मेरा महबूब आया है
नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर
बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर
ज़रा तुम दिल को बहलाओ मेरा महबूब आया है
सजाई है जवाँ कलियों ने अब ये सेज उल्फ़त की
इन्हें मालूम था आएगी इक दिन ऋतु मुहब्बत की
फ़िज़ाओं रंग बिखराओ मेरा महबूब आया है
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222 1222 1222 1222 अछि। पहिल अंतरामे "मेंहँदी" शब्दमे मात्राक्रम गलत अछि हमरा हिसाबें मुदा उर्दूमे "शब्दक बीच बला "ह" केर उच्चारण पहिल शब्दमे मीलि क' ओकरा दीर्घ बना दैत छै जेना कि "लहरि" केर उच्चारण "लैर" सन आदि, "मेंहँदी" केर उच्चारण तेहने भ' सकैए (पक्का पता नै) ओनाहुतो ई नज्म छै आ ताहूमे फिल्मक लेल लिखल गेल। शाइर एकरा गजल घोषित नै केने छथि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि।
आइ देखू "सूरज" फिल्म केर ई नज्म जे कि मो. रफीजी द्वारा गाएल गेल अछि। नज्म लिखने छथि हसरत जयपुरी। संगीतकार छथि शंकर जयकिशन। ई फिल्म 1966 मे रिलीज भेलै। एहिमे राजेंद्र कुमार, वैजयन्तीमाला आदि कलाकार छलथि।
बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
हवाओं रागिनी गाओ मेरा महबूब आया है
ओ लाली फूल की मेंहँदी लगा इन गोरे हाथों में
उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में
सितारों माँग भर जाओ मेरा महबूब आया है
नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर
बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर
ज़रा तुम दिल को बहलाओ मेरा महबूब आया है
सजाई है जवाँ कलियों ने अब ये सेज उल्फ़त की
इन्हें मालूम था आएगी इक दिन ऋतु मुहब्बत की
फ़िज़ाओं रंग बिखराओ मेरा महबूब आया है
एहि नज्मक सभ पाँतिक मात्राक्रम 1222 1222 1222 1222 अछि। पहिल अंतरामे "मेंहँदी" शब्दमे मात्राक्रम गलत अछि हमरा हिसाबें मुदा उर्दूमे "शब्दक बीच बला "ह" केर उच्चारण पहिल शब्दमे मीलि क' ओकरा दीर्घ बना दैत छै जेना कि "लहरि" केर उच्चारण "लैर" सन आदि, "मेंहँदी" केर उच्चारण तेहने भ' सकैए (पक्का पता नै) ओनाहुतो ई नज्म छै आ ताहूमे फिल्मक लेल लिखल गेल। शाइर एकरा गजल घोषित नै केने छथि। एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि।
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