बुधवार, 20 जून 2018

गजल

आब अप्पन आसन लेल
टाट चाही आँगन लेल

सत्य ईहो छै रे भाइ
मृत्यु चाही जीवन लेल

नेह चाही अपने हमरा
टीस चाही साजन लेल

राज्य नै चलतै हुनकासँ
नेत चाही शासन लेल

भोग चाहथि साधू संत
जोग चाही राजन लेल

सभ पाँतिमे 2122 2221 मात्राक्रम अछि। तेसर शेरक पहिल पाँतिक अंतिम दीर्घकेँ लघु मानि लेबाक छूट लेल गेल अछि।

1 टिप्पणी:

  1. सुन्दर पंक्तियां

    मेरे ब्लोगों पर आपका हार्दिक स्वागत है
    https://bikhareakshar.blogspot.com/

    http://kbsnco.blogspot.com/

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों