मंगलवार, 21 जुलाई 2020

गजल

जिनगी छैक अनमोल रे मन
माटि मे नहि तू रोल रे मन

बंद कोठरी गुमसि उठइ छै
द्वार हृदय के खोल रे मन

नेना क अधबोलिया बाजब
कान मे मिसरी घोल रे मन

चोरिक धुन पर गाबि रहल सब
गीतोक अटपट बोल रे मन

भेल चुनाव क गहमा-गहमी
फूजि रहल आब पोल रे मन

घरक झगड़ा आयल चौक पर
पसरल आब भरि टोल रे मन

मलिन मोन आ रूप सजाबै
गुदरी पर जना ख़ोल रे मन

घोघ छै तनने बीत भरि के
बजै छै पटपट लोल रे मन

बरिसय मेघबा झिहिर झिहिर क
पपिहा करय अनघोल रे मन

सोना सन के काया पाबि क
बोल छै कबकब ओल रे मन

✍️✍️✍️जयंती कुमारी













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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों