फूसि के आगू कते ई सच लचार अछि
आबि ठोरक कोनटा तँइ धेने ठार अछि
ओस गाल पर, जेना पनिसोखा उगल अइ
आँखिमे ओकर हमर जीवन के सार अछि
अइ जँ ई जिनगी नदी सभहक तखन फेर
दुःख-सुख एकर बुझू दूटा किनार अछि
सब कियो अहि जगमे ऋणी ओकरे अइ
मृत्युपर जिनगी अपन सभहक उधार अछि
ई बसात अइ आकि अछि पायल के छम-छम
भ्रम में छी जे कियो आयल त द्वार अछि
~आशुतोष मिश्रा 'अज़ल'
बह्र-ए-रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाइलातुन् फ़ाइलातुन् फ़ाइलातुन्
वज़्न:-२१२२/२१२२/२१२२
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