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सोमवार, 28 सितंबर 2020
गजल
पानिमे पानि परसल जाइए
आगिमे आगि बाँटल जाइए
शब्दपर शब्द लीखल जाइए
अर्थ बस अर्थ छूटल जाइए
भेल कोंढ़ीक चर्चा रातिमे
भोरमे फूल लोढ़ल जाइए
छै अपन ढेप माटिक मोल नै
आनकेँ सोन बूझल जाइए
आसमे चुप रहैए बेरपर
बेरपर ढोल पीटल जाइए
सभ पाँतिमे 212-2122-212 मात्राक्रम अछि।
शुक्रवार, 18 सितंबर 2020
गजल
नाम हुनका लग लिखा गेल हमरो
आब की हेतै बुझा गेल हमरो
दाम अपने हम लगेलहुँ अते कम
जे अपन जीवन लिया गेल हमरो
भेल छल शुरुए शुरूमे तते जे
अंतमे सप्पत खुआ गेल हमरो
रंग हुनकर देखि दुनियों कहल आ
बेरपर कहबी फुरा गेल हमरो
के रहत के नै रहत से कहत के
आइ देखू भोज खा गेल हमरो
सभ पाँतिमे 2122-2122-122 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
मंगलवार, 15 सितंबर 2020
गजल
सत्ता के मातल नेता एलै दुआर हे
दुखमे ई झड़कल जनता फोड़ल कपार हे
रचनामे साधु छै जीवनमे किछु आर हे
एहनकेँ माने बुझियौ बड़का छिनार हे
नोरे छै कोसी कमला गंगा किनार हे
नोरेमे घोरल गेलै सिंदुर पिठार हे
आँगनमे रेखा पड़तै भेलै विचार हे
अपने के केलक पहिने अपने शिकार हे
मुद्दा तँ लीखै तेना जेना सरकार हे
सरकारक आगू भेलै बंदे बकार हे
सभ पाँतिमे 22-22-22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। ई गजल लोकधुनपर आधारित अछि।
सोमवार, 14 सितंबर 2020
गजल
खाली जेबी लोक लग
छुच्छे थारी लोक लग
दिन दुपहरिया हम कहब
रातुक पारी लोक लग
सिस्टम सेहो चुप रहल
सिस्टमशाली लोक लग
किम्हर गेलै फूल सभ
छै फुलडाली लोक लग
ई सभ बुझलक अंतमे
संकट भारी लोक लग
सभ पाँतिमे 22-22-212 मात्राक्रम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
बुधवार, 9 सितंबर 2020
गजल
चानन टिक्का आर मसुआइ
अजगुत खेला भाइ रे भाइ
दुनियाँ माने अतबे बूझू
झूर झमेला लाइ लपटाइ
ई सभ भेलै लेकिन फेरो
की सभ हेतै दाइ गे दाइ
सुख के माने तिलबा हेतै
दुख के माने लाइ चुड़लाइ
हुनके जकाँ हम हाथ जोड़ल
हुनके जकाँ हमहूँ नितराइ
सभ पाँतिमे 22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। ई बहरे मीर अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
बुधवार, 2 सितंबर 2020
हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-33
गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी। एक बेर फेर बहरक कमाल देखू फिल्मी गीतमे देखू। अजुका गीत अछि 'खिलौना, जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो"। एहि गीतक हरेक पाँतिमे 1222-1222-1222-1222 मात्राक्रम अछि। ई फिल्म "खिलौना" केर गीत अछि। गीतकार छथि आनंद बक्षी। संगीतकार छथि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल। गायक मो.रफी। ई फिल्म 1970मे आएल रहै जाहिमे संजीव कुमार, मुमताज, शत्रुघ्न सिन्हा आदि कलाकार छलथि।
खिलौना, जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो
मुझे इस, हाल में किसके सहारे छोड़ जाते हो
मेरे दिल से ना लो बदला ज़माने भर की बातों का
ठहर जाओ सुनो मेहमान हूँ मैं चंद रातों का
चले जाना अभी से किस लिये मुँह मोड़ जाते हो
गिला तुमसे नहीं कोई, मगर अफ़सोस थोड़ा है
के जिस ग़म ने मेरा दामन बड़ी मुश्किल से छोड़ा है
उसी ग़म से मेरा फिर आज रिश्ता जोड़ जाते हो
खुदा का वास्ता देकर मना लूँ दूर हूँ लेकिन
तुम्हारा रास्ता मैं रोक लूँ मजबूर हूँ लेकिन
के मैं चल भी नहीं सकता हूँ और तुम दौड़ जाते हो
एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--
खिलौना, जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो
मुझे इस, हाल में किसके सहारे छोड़ जाते हो
मेरे दिल से ना लो बदला ज़माने भर की बातों का
ठहर जाओ सुनो मेहमान हूँ मैं चंद रातों का
चले जाना अभी से किस लिये मुँह मोड़ जाते हो
गिला तुमसे नहीं कोई, मगर अफ़सोस थोड़ा है
के जिस ग़म ने मेरा दामन बड़ी मुश्किल से छोड़ा है
उसी ग़म से मेरा फिर आज रिश्ता जोड़ जाते हो
खुदा का वास्ता देकर मना लूँ दूर हूँ लेकिन
तुम्हारा रास्ता मैं रोक लूँ मजबूर हूँ लेकिन
के मैं चल भी नहीं सकता हूँ और तुम दौड़ जाते हो
एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--
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