सत्ता के मातल नेता एलै दुआर हे
दुखमे ई झड़कल जनता फोड़ल कपार हे
रचनामे साधु छै जीवनमे किछु आर हे
एहनकेँ माने बुझियौ बड़का छिनार हे
नोरे छै कोसी कमला गंगा किनार हे
नोरेमे घोरल गेलै सिंदुर पिठार हे
आँगनमे रेखा पड़तै भेलै विचार हे
अपने के केलक पहिने अपने शिकार हे
मुद्दा तँ लीखै तेना जेना सरकार हे
सरकारक आगू भेलै बंदे बकार हे
सभ पाँतिमे 22-22-22-22-22-22 मात्राक्रम अछि। दू अलग-अलग लघुकेँ दीर्घ मानबाक छूट लेल गेल अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि। ई गजल लोकधुनपर आधारित अछि।
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