शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-34

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी। एक बेर फेर बहरक कमाल देखू फिल्मी गीतमे देखू। अजुका गीत अछि "जिन्हें हम भूलना चाहे वो अक्सर याद आते हैं"। एहि गीतक हरेक पाँतिमे 1222-1222-1222-1222 मात्राक्रम अछि। ई फिल्म "आबरू" केर गीत अछि। गीतकार छथि जी.एल रावल। संगीतकार छथि सोनिक ओमी। गायक मुकेश। ई फिल्म 1968 मे आएल रहै जाहिमे अशोक कुमार, दीपक कुमार, विम्मी, शशिकला आदि कलाकार छलथि।

जिन्हें हम भूलना चाहे वो अक्सर याद आते हैं

बुरा हो इस मुहब्बत का वो क्यों कर याद आते हैं

भुलाये किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से
छलक जाते हैं जब आँसू वो सागर याद आते हैं

किसी के सुर्ख लब थे या दिये की लौ मचलती थी
जहाँ की थी कभी पूजा वो मंदर याद आते हैं

रहे ऐ शम्मा तू रोशन दुआ देता है परवाना
जिन्हें किस्मत में जलना हैं वो जलकर याद आते हैं

एकर तक्ती उर्दू हिंदी नियमपर कएल गेल अछि। 'उन आँखों से' केर तक्ती अलिफ-वस्लसँ कएल गेल अछि। ई गीत निच्चा सुनि सकैत छी--



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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों