विदित भेल अजुका समाचार सभटा
रहल अंत लेकिन निराधार सभटा
कियो छै खसल आ कियो छै शिखरपर
रचल खेल विधना धुँआधार सभटा
सगर काज देखू लकड़पेंच लागल
अपन आन संसार बेकार सभटा
कलापर टका केर दाबी बहुत छै
मधुर माछ मदिरा चिलम आर सभटा
कहीं एक दुनियाँ बसेने रही हम
मुदा कर्म बनलै हवलदार सभटा
हजूरक महलमे कते बाजि सकितहुँ
रहल बेरपर चुप वफादार सभटा
सभ पाँतिमे 122-122-122-122 मात्राक्रम अछि आ ई बहरे मुतकारिब मुस्समन सालिम अछि। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।
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