दर्द देखायब करेजाक मानब की
काल्हि सपनोमे हँसी छोरि कानब की
प्रेम पुरुषक छैक गोबर अहाँ कहलौं
चीर देखायब करेजा तँ गानब की
दोख सभमे नै कतउ एकमे हेते
संग हमरा ओहिमे सभक सानब की
आइ छै अन्हार सगरो अहाँ कहलौं
आँखि मुनि लाइटसँ अन्हार आनब की
कनिक हमरोपर भरोसा क कय देखू
प्रेम ककरा छै कहै 'मनु'सँ जानब की
(बहरे कलीब, मात्राक्रम : 2122-2122-1222)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
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