गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

गजल

जखन दरबार बनि गेलै
तखन किछु चार बनि गेलै

जहर पीने रही एना
गलाकेँ हार बनि गेलै

भरोसापर रहल लटकल
भरोसा भार बनि गेलै

रहै इच्छा बनब करुणा
मुदा खुंखार बनि गेलै

टुटल बहिनोइकेँ नै मान
धनी लग सार बनि गेलै


सभ पाँतिमे 1222-1222 मात्राक्रम अछि। ई बहरे हजज मोरब्बा सालिम अछि। गजलमे मान्य छूट लेल गेल अछि।सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों