शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

गजल


गजल-1- डॉ. नरेश कुमार ‘वि‍कल’

नयन केर नीन्न पड़ाएल की छीनि‍ लेल कोनो


मोन केर बात मोनमे रहि‍ गेल कोनो
उन्‍हरि‍या राति‍ ई गुज-गुज एना कत्ते दि‍न धरि‍ रहत
कम्‍बल कएक काजर केर तानि‍ देल कोनो
काँटक झार राखल छै चौकठि‍ केर दुनू दि‍स
तैयो अयाचि‍त डेग नापि‍ देल कोनो
छाहरि‍ ने झरक लागय हमरा नीम गाछीमे
बसातक संग बि‍रड़ो फेर आनि‍ देल कोनो
हमर खटक सि‍रमामे करैए नाग सभ सह-सह
काँचक घरमे पाथर राखि‍ देल कोनो
बि‍हुँसल ठोर ने खुजतै कोनो कामि‍नी आगाँ
प्रीतक सींथमे भुम्‍हूर राखि‍ देल कोनो

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों