(मिथिलांचल में जनमल एकटा लड़कीक व्यथा,
जेकर विवाह कोनो आन शहर में भs गेल अछि)
माँ मिथिले के छोड़ि कS हम आन ठाम आइल छी
घर दुआर बाबूजी माय के कs प्रणाम आइल छी
चुल्हा-चौका भानस-वासन सब सखा-सहेली बिसरि कs
एगो दुल्हाक लेल हम अनचिन्हार गाम आइल छी
एगो दुल्हाक लेल हम अनचिन्हार गाम आइल छी
ठोरक मुस्कीसँ मंद-मंद हम अपन कथा कहैय छी
आँखिक नोरसँ बूझि जाउ लs केकर नाम आइल छी
आँखिक नोरसँ बूझि जाउ लs केकर नाम आइल छी
न दुरा अछि न बाड़ी अछि घर में दम घुटैय अछि
सच पुछू त हम अपन स्वयं दs कS दाम आइल छी
सच पुछू त हम अपन स्वयं दs कS दाम आइल छी
इ दुख के क्षण सँ इ संकट सँ के उबारतैय दाता
अब कतअ जाउ अहाँ शरण में हे श्याम आइल छी
अब कतअ जाउ अहाँ शरण में हे श्याम आइल छी
नीक गजलक प्रस्तुति, शर्मा जी अहाँ सँ मैथिली के बहुत आशा छैक।
जवाब देंहटाएंतेवर गजलक अनुरूप अछि, आशा जे आरो गजल भेटतै मैथिली के अपने सँ।
जवाब देंहटाएंभाइ बधाइ हो अपने के, मैथिली नारी साहित्य मे अपनेक इ गजल मोन पाड़ल जाएत। किछु ब्लाग सँ संबंधित निअम सेहो देखल जाए। मैथिली उच्चारण पर कनिकबे धेआन देला सँ अहाँ मैथिलीक नीक गजलकार बनि जाएब ताहि मे संदेह नहि। फेर सँ बधाइ।
जवाब देंहटाएंधमगिज्जर कऽ देलिऐ त्रिपुरारीजी। अहाँक अगिला प्रस्तुतिक प्रतीक्षा रहत।
जवाब देंहटाएंधन्य छी अहाँ सब... धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंbahut sundar lagal man gad gad bha gayal
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