गजल द्वारा किछु संदेश, किछु भावनात्मक अभिव्यक्ति, किछु जीवन दर्शन, सौन्दर्य आकि प्रेम ओ विरहक सौन्दर्य प्रदर्शित रहबाक चाही। किछु एहेन जे सायास नै अनायास होअए। तेँ गजल आन पद्य-कविता जेना- कहल जएबाक चाही, लिखल नै। लिखल तँ चित्र जाइत अछि- मिथिला चित्रकला लिखिया द्वारा लिखल जाइत अछि, संस्कृतमे हम कहै छिऐ- अहं चित्रं लिखामि। गजलक विषय अलग होइत अछि, गजलशास्त्रक अधारपर भजन लिख देलासँ ओ गजल नै भऽ जाएत। अरबीमे तँ गजलक अर्थे होइ छै स्त्रीसँ वार्तालाप। गजल प्रेम विरहक बादो, नै पौलाक बादो, लोकापवाद आ तथाकथित अवैध रहलाक उत्तरो प्रेमक रस लैत अछि। ई प्रेम भगवान आ भक्तक बीच सेहो भऽ सकैत अछि, शारीरिक आ आध्यात्मिक भऽ सकैत अछि। ई राधाक प्रेम भऽ सकैत अछि तँ मीराक सेहो। ई प्रेम दुनू दिससँ हो सेहो जरूरी नै। भावनाक उद्रेक आ संगमे गजल कहि कऽ आत्मतुष्टिक लेल गजलकार भावनाक उद्रेककेँ क्षणिक नै वास्तविक आ स्थायी बनाबथि तखने नीक गजल लिखि सकै छथि।
रुबाइ:
रुबाइ:
रुबाइक चतुष्पदीमे पहिल दोसर आ चारिम पाँती काफिया युक्त होइत अछि; आ मात्रा २० वा २१ हेबाक चाही।
रुबाइमे मात्रा २० वा २१ राखू। रुबाइक सभ पाँतीक प्रारम्भ दू तरहे शुरू होइत अछि- १.दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ (मफ–ऊ–लु ।।U )सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व (मफ–ऊ–लुन ।।।) सँ। ओना फारसी रुबाइमे पाँती सभ लेल प्रारम्भक आगाँक ह्रस्व-दीर्घ क्रम निर्धारित छै, मुदा मैथिली लेल अहाँ २०-२१ मात्राक कोनो छन्द जे १.दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ (मफ–ऊ–लु ।।U )सँ वा २.दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व (मफ–ऊ–लुन ।।।) सँ प्रारम्भ होइत हो, तकरा उठा सकै छी। पाँती २० वा २१ मात्राक हेबाक चाही, (मफ–ऊ–लु ।।U ) वा (मफ–ऊ–लुन ।।।) सँ प्रारम्भ हेबाक चाही।
मुदा एक रुबाइक वाक्य सभक बहर वा छन्द/ लय एकसँ बेशी तरहक भऽ सकैए। चारू पाँतीमे सेहो काफियाक मिलान भऽ सकैए।
आन चतुष्पदी जाइमे पहिल दोसर आ चारिम पाँती काफिया युक्त होइत अछि मुदा मात्रा २०-२१ नै हुअए से रुबाइ नै।
मैथिलीमे मुदा "कता"क परिभाषामे ओ अओत जँ प्रारम्भ दीर्घ-दीर्घसँ हुअए मुदा छन्द आगाँ सरल वार्णिक, वार्णिक वा ,मात्रिक हुअए। “कता”क प्रारम्भ दीर्घ-दीर्घसँ हुअए मुदा मात्रिक वा वार्णिकमे दुनूमेसँ कोनो एकमे शेर लिख सकै छी, कमसँ कम दोसर आ चारिम पाँतीक काफिया मिलबाक चाही।
रुबाइक चतुष्पदीक चारिम पाँती भावक चरम हेबाक चाही।
रुबाइ
कारी अनहार मेघ, आ नै होइए
कत्तौ बलुआ माटि, खा नै होइए
दाहीजरती देखि, हिलोरै-ए मेघ
भगजोगनी भकरार, जा नै होइए
बहर आ छन्दक मिलानी
गजल कोनो ने कोनो बहर (छन्द) मे हेबाक चाही। वार्णिक छन्दमे सेहो ह्रस्व आ दीर्घक विचार राखल जा सकैत अछि, कारण वैदिक वर्णवृत्तमे बादमे वार्णिक छन्दमे ई विचार शुरू भऽ गेल छल:- जेना
तकैत रहैत छी ऐ मेघ दिस
तकैत (ह्रस्व+दीर्घ+दीर्घ)- वर्णक संख्या-तीन
रहैत (ह्रस्व+दीर्घ+ह्रस्व)- वर्णक संख्या-तीन
छी (दीर्घ) वर्णक संख्या-एक
ऐ (दीर्घ) वर्णक संख्या-एक
मेघ (दीर्घ+ह्रस्व) वर्णक संख्या-दू
दिस (ह्रस्व+ह्रस्व) वर्णक संख्या-दू
मात्रिक छन्दमे द्विकल, त्रिकल, चतुष्कल, पञ्चकल आ षटकल अन्तर्गत एक वर्ण (एकटा दीर्घ) सँ छह वर्ण (छहटा ह्रस्व) धरि भऽ सकैए।
द्विकलमे- कुल मात्रा दू हएत, से एकटा दीर्घ वा दूटा ह्रस्व हएत।
त्रिकलमे कुल मात्रा तीन हएत- ह्रस्व+दीर्घ, दीर्घ+ह्रस्व आ ह्रस्व+ह्रस्व+ह्रस्व; ऐ तीन क्रममे।
चतुष्कलमे कुल मात्रा चारि; पञ्चकलमे पाँच; षटकलमे छह मात्रा हएत।
वार्णिक छन्द तीन-तीन वर्णक आठ प्रकारक होइत अछि जे “यमाताराजसलगम्” सूत्रसँ मोन राखि सकै छी।
आब कतेक पाद आ कतऽ काफिया (यति,अन्त्यानुप्रास) देबाक अछि; कोन तरहेँ क्रम बनेबाक अछि से अहाँ स्वयं वार्णिक/ मात्रिक आधारपर कऽ सकै छी, आ विविधता आनि सकै छी।
वर्ण छन्दमे तीन-तीन अक्षरक समूहकेँ एक गण कहल जाइत अछि। ई आठ टा अछि-
यगण U।।
रगण ।U।
तगण ।। U
भगण । U U
जगण U। U
सगण U U ।
मगण ।।।
नगण U U U
एहि आठक अतिरिक्त दूटा आर गण अछि- ग / ल
ग- गण एकल दीर्घ ।
ल- गण एकल ह्रस्व U
एक सूत्र- आठो गणकेँ मोन रखबा लेल:-
यमाताराजभानसलगम्
आब एहि सूत्रकेँ तोड़ू-
यमाता U।। = यगण
मातारा ।।। = मगण
ताराज ।। U = तगण
राजभा ।U। = रगण
जभान U। U = जगण
भानस । U U = भगण
नसल U U U = नगण
सलगम् U U । = सगण
बहरे मुतकारिब मुतकारिब आठ–रुक्न फ ऊ लुन (U।।) – चारि बेर
वर्णवृत्त भुजंगप्रयात : प्रति चरण यगण (U।।) – चारि बेर। बारह वर्ण। पहिल, चारिम, सातम आ दसम ह्रस्व, शेष दीर्घ। छअम आ आखिरी वर्णक बाद अर्द्ध-विराम।
बहरे मुतकारिब चारि–रुक्न फ ऊ लुन (U।।) – दू बेर
वर्ण वृत्त सोमराजी यगण (U।।) – दू बेर। छह वर्ण। पहिल आ चारिम ह्रस्व, शेष दीर्घ। दोसर आ अन्तिम वर्णक बाद अर्द्ध-विराम।
मात्रिक रूप- प्रति चरण बीस मात्रा। पहिल, छअम, एगारहम आ सोलहम मात्रा ह्रस्व।
बहरे मुतदारिक मुतदारिक आठ–रुक्न फा इ लुन (।U।) – चारि बेर
वर्ण वृत्त स्रग्विणी रगण (।U।) – चारि बेर। बारह वर्ण। दोसर, पाँचम, आठम आ एगारहम ह्रस्व आ शेष दीर्घ। छअम आ आखिरी वर्णक बाद अर्द्ध-विराम।
मात्रिक रूप- प्रति चरण बीस मात्रा। तेसर, आठम, तेरहम आ अठ्ठारहम मात्रा ह्रस्व।
महजूफ: बहरे रमल मुसम्मन महजूफ फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन ।U।। फा इ लुन । U ।
मात्रिक छंद गीतिका -प्रति चरण २६ मात्रा। तेसर, दसम, सत्रहम आ चौबीसम मात्रा ह्रस्व।
गीतिका-वर्णवृत्त २० वर्ण एकटा सगण, दूटा जगण, एकटा भगण, एकटा रगण, एकटा सगण, एकटा लगण आ एकटा गगण। तेसर, पाँचम, आठम, दसम, तेरहम, पन्द्रहम, अठारहम आ बीसम वर्ण दीर्घ आ शेष ह्रस्व। पाँचम, बारहम आ अन्तिम वर्णक बाद अर्द्ध-विराम।
महजूज: बहरे मुतदारिक मुसम्मन महजूज (एहिमे सभटा मुज़ाहिफ अरकान) फा इ लुन । U । फा इ लुन । U । फा इ लुन । U । फा ।
वर्ण वृत्त बाला-१० वर्ण। प्रति चरण रगण । U । तीन बेर आ फेर एकटा दीर्घ ।
मात्रिक रूप- प्रति चरण सत्रह मात्रा। तेसर, आठम, तेरहम मात्रा ह्रस्व आ आखिरीमे एक दीर्घ । आकि दूटा ह्रस्व U
मिथिला माईक सय गो बेटा - सौवो भेलहु खर्हुवनमा गै!
जवाब देंहटाएंसींग आ पूछरी केकरो नहि छौ, तैयो भेलहु अनढनमा गै!
एक पर एक सभ माथ भिड़ाबौ, बाजौ बड़-बड़ कनमा गै!
काज घड़ी बाप-बाप चिचियाबौ, लाजो न छै एक कनमा गै!
... ...
भोज घड़ी कुम्हर के फराबौ, चार चढौ ओ उधियनमा गै!
फूसिये लूत्ती आगि छै लागल, अदहन गेलौ भफनमा गै!
निमक मेरचाइ तिमन तेज छौ, भोजैत गेलौ परनमा गै!
सुधा दही के धारा कोसी, पड़सल सकड़ौरी के ढरनमा गै!
मिथिला माई चिकरि मरै छथि देख सरधुवा उलहनमा गै!
अगबे पोसें पेट अपन तों, मथरल घरवाली के शरणमा गै!
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