सोमवार, 13 दिसंबर 2010

गजल

शराब के खराप नहि मानू सदिखन

कनियें बराबर एकरा जानू सदिखन



बेसी पीब त मोन भरि जाएत

मीत थोड़बे-थोड़ पीबू सदिखन



स्वर्गक सुख भेटत जँ देखबै एम्हरो

आरती छोड़ि लबनी टेबू सदिखन



दुखक पहाड़ बड़की टा हौ भाइ

संग मे बोतल राखि फानू सदिखन





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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों