रविवार, 4 अप्रैल 2010

गजल

दुन्नू जे नैन मे नैन मिला रहलैए

अइ धरती कें बसबा-जोग बना रहलैए

पिघलल पिघलल मोम बनल अछि सुग्गा-सुग्गी

देखियौ नेह करामत केहन करा रहलैए

जुडि रहलैए स्वर्ग-लोक धरतिक रिश्ता

जाति-धरम के झगडा-दन्न मिटा रहलैए

बन्न करू पंडित-मुल्ला, पोथी-पतरा

आशीषक घन अल्ला खुद बरसा रहलैए

ई जिनगी छी अकटा-मिसिया आ कि धान छी

भरल बखारी उकटा-भांड मचा रहलैए


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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों