ओ दुन्नू जे नैन मे नैन मिला रहलैए
अइ धरती कें बसबा-जोग बना रहलैए
पिघलल पिघलल मोम बनल अछि सुग्गा-सुग्गी
देखियौ नेह करामत केहन करा रहलैए
जुडि रहलैए स्वर्ग-लोक आ धरतिक रिश्ता
जाति-धरम के झगडा-दन्न मिटा रहलैए
बन्न करू पंडित-मुल्ला, ई पोथी-पतरा
आशीषक घन अल्ला खुद बरसा रहलैए
ई जिनगी छी अकटा-मिसिया आ कि धान छी
भरल बखारी उकटा-भांड मचा रहलैए
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