मोन नहि भरैए मिलनक बेर मे
अनचिन्हार कहैए मिलनक बेर मे
जेहन विरह हो तेहन सिनेह
अनचिन्हार मोन पड़ैए मिलनक बेर मे
हमर देहक भाषा-अभिलाषा
अनचिन्हार बुझैए मिलनक बेर मे
भगवानो जनैत छथिन्ह मोनक बात
अनचिन्हार अबैए मिलनक बेर
हुनकर रीत हुनकर प्रीत हुनकर गीत
अनचिन्हार लगैए मिलनक बेर मे
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गुरुवार, 22 जुलाई 2010
गजल
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